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Wednesday, 2 May 2018

India-china Army Will Prepare For Hotline, Stress Will Be Removed On Loc - भारत-चीन सेना के बीच हॉटलाइन की तैयारी, Loc पर तनाव होगा दूर

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भारत और चीन की सेनाएं पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान में अनौपचारिक बैठक के बाद अपने मुख्यालयों के बीच हॉटलाइन स्थापित करने के लंबित पड़े प्रस्ताव पर कथित रूप से सहमत हो गई हैं। चीन के आधिकारिक मीडिया ने आज यह जानकारी दी। पिछले साल 73 दिनों तक जारी दोकलम गतिरोध के बाद पहली बार दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने को लेकर इस तरह की पहल की जा रही है।

मोदी-शी वार्ता के बाद भारत-चीन सेना के बीच हॉटलाइन की तैयारी

मोदी ने भारत-चीन रिश्तों को ‘मजबूत’ करने के लिए पिछले सप्ताह शी जिनपिंग के साथ दो दिनी शिखर वार्ता ‘दिल से दिल तक’ की थी। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, ‘दोनों देशों के नेता सैन्य मुख्यालयों के बीच हॉटलाइन संपर्क पर सहमत हुए। इसे दोनों देशों के बीच भरोसा पैदा करने और सूचना साझा करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। इससे भारत व चीन मुख्यालयों को 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सीमा गश्ती दलों के बीच तनाव और दोकलम जैसे गतिरोध से बचने के लिए संवाद बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

सीमा गश्ती दलों के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर तनाव दूर करने में मिलेगी मदद

बता दें कि पिछले साल भारतीय सेना द्वारा विवादित दोकलम क्षेत्र में चीनी सेना को सड़क निर्माण से रोकने के बाद दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ चुकी हैं। हॉटलाइन पर लंबे समय से वार्ता चल रही है लेकिन मुख्यालयों में किस स्तर की हॉटलाइन स्थापित की जाए, इसे लेकर योजना आगे नहीं बढ़ पाई। भारत-पाक के डायरेक्टर जनरल्स ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) के बीच हॉटलाइन सुविधाएं हैं लेकिन चीन के मामले में ऐसी किसी भी सुविधा के लिए चीनी सेना को एक नामित अधिकारी की पहचान करनी होगी।


चीनी सेना विशेषज्ञों के मुताबिक हॉटलाइट से दोनों सेनाओं के बीच भरोसा पैदा होगा। अखबार ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि भारत-चीन के बीच सैन्य भरोसा द्विपक्षीय रिश्तों के लिए अहम है और यह दोनों पक्षों से धैर्य व ईमानदारी की मांग करता है। शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के निदेशक झाओ गनचेंग ने कहा, ‘दोनों देशों के बीच तनाव दूर करने के लिए वुहान अनौपचारिक शिखर वार्ता एक अच्छी शुरुआत है जो भविष्य के संवाद और विश्वास बहाली का आधार है। इस बीच शी ने भी चीनी सेना और उसकी कमान के ढांचे में कई बड़े बदलाव किए हैं।

एलएसी पर शांति बनाए रखने का संकल्प

दोनों सेनाओं के बीच वार्षिक अभ्यास बहाल होने की संभावना है। पिछले साल दोकलम गतिरोध के कारण यह अभ्यास नहीं हुआ था। भारत-चीन की सेनाओं ने चुसुल में कल एक बैठक कर एलएसी पर शांति बनाए रखने का संकल्प लिया। शी और मोदी के बीच पिछले सप्ताह अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद यह इस तरह की पहली बैठक थी। इस बॉर्डर पर्सनल मीटिंग (बीपीएम) के दौरान सीमा प्रबंधन के मुद्दों पर चर्चा हुई। इसमें तालमेल करके सीमा पर गश्त लगाने की योजना रखी गई यानी गश्ती दल भेजने के पहले दोनों पक्ष एक-दूसरे को अग्रिम सूचना देंगे। 



भारत और चीन की सेनाएं पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान में अनौपचारिक बैठक के बाद अपने मुख्यालयों के बीच हॉटलाइन स्थापित करने के लंबित पड़े प्रस्ताव पर कथित रूप से सहमत हो गई हैं। चीन के आधिकारिक मीडिया ने आज यह जानकारी दी। पिछले साल 73 दिनों तक जारी दोकलम गतिरोध के बाद पहली बार दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने को लेकर इस तरह की पहल की जा रही है।


मोदी-शी वार्ता के बाद भारत-चीन सेना के बीच हॉटलाइन की तैयारी

मोदी ने भारत-चीन रिश्तों को ‘मजबूत’ करने के लिए पिछले सप्ताह शी जिनपिंग के साथ दो दिनी शिखर वार्ता ‘दिल से दिल तक’ की थी। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, ‘दोनों देशों के नेता सैन्य मुख्यालयों के बीच हॉटलाइन संपर्क पर सहमत हुए। इसे दोनों देशों के बीच भरोसा पैदा करने और सूचना साझा करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। इससे भारत व चीन मुख्यालयों को 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सीमा गश्ती दलों के बीच तनाव और दोकलम जैसे गतिरोध से बचने के लिए संवाद बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

सीमा गश्ती दलों के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर तनाव दूर करने में मिलेगी मदद

बता दें कि पिछले साल भारतीय सेना द्वारा विवादित दोकलम क्षेत्र में चीनी सेना को सड़क निर्माण से रोकने के बाद दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ चुकी हैं। हॉटलाइन पर लंबे समय से वार्ता चल रही है लेकिन मुख्यालयों में किस स्तर की हॉटलाइन स्थापित की जाए, इसे लेकर योजना आगे नहीं बढ़ पाई। भारत-पाक के डायरेक्टर जनरल्स ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) के बीच हॉटलाइन सुविधाएं हैं लेकिन चीन के मामले में ऐसी किसी भी सुविधा के लिए चीनी सेना को एक नामित अधिकारी की पहचान करनी होगी।






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दोनों देशों के बीच भरोसा पैदा करेगी हॉटलाइन







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