नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्नाटक दौरे के दौरान गुरुवार 3 अप्रैल को बेंगलुरू में पूर्व सीएम एस एम कृष्णा के साथ मंच पर नजर आए थे. कर्नाटक चुनाव से पहले पूर्व सीएम और पीएम के साथ दिखने को पार्टी के कर्नाटक में अपनी पकड़ बनाने के लिए उठाए गए मजबूत कदम के रूप में देखा गया. लेकिन बीजेपी के लिए कर्नाटक चुनाव में जीत हासिल करने की राह आसान नहीं होने वाली है. बेंगलुरु से महज 65 किलोमीटर दूर एस एम कृष्णा के ही गृहनगर मद्दुरु में बीजेपी बड़ी मुश्किल का सामना कर रही है. राज्य में खुला सबसे पहला पार्टी ऑफिस अब बंद हो चुका है. ऐसा इसलिए क्योंकि एस एम कृष्णा के समर्थक जो उनके साथ कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे, उन्होंने फिर से कांग्रेस का हाथ थाम लिया है.
नाराज होकर पिछले साल छोड़ी थी कांग्रेस
साल 2017 में एस एम कृष्णा सहित बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने कांग्रेस से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी थी. इन समर्थकों में से कई कृष्णा के रिश्तेदार भी थे. लेकिन एक हफ्ते ये वापस कांग्रेस में शामिल हो गए. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी नेतृत्व की ओर से उन्हें उपेक्षित किया गया, जिस कारण उन्होंने पार्टी बदलने का फैसला लिया. इसके साथ ही कर्नाटक में पांव जमाने के इरादे से मद्दुरु में खोला गया पहला बीजेपी ऑफिस और उसकी कमान संभालने वाले वहां के पार्टी अध्यक्ष लक्ष्मण कुमार को पार्टी ने खो दिया.
टिकट नहीं मिलने से नाराज मद्दुरु अध्यक्ष ने छोड़ी पार्टी
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के अनुसार, लक्ष्मण कुमार जिन्हें बीजेपी ने मद्दुरु का चीफ बनाया था उन्होंने टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर पार्टी का साथ छोड़ा. कुमार ने बताया कि, 'बीजेपी का इस इलाके में अस्तित्व भी नहीं था. मैंने मेहनत करके लगभग पूरे संगठन को तैयार किया. मुझसे वादा किया गया था कि मुझे टिकट दिया जाएगा, लेकिन अचानक किसी को और को चुन लिया गया. मैंने अपनी नाराजगी जाहिर की, लेकिन बीजेपी की ओर से कोई इस पर बात करने को तैयार नहीं था. इस वजह से मैं कांग्रेस में आ गया.'
जानकारी के मुताबिक, लक्ष्मण कुमार की जगह बीजेपी ने सतीश को टिकट दिया है. लेकिन कुमार के जाने से अब इलाके में पार्टी का ऑफिस ही नहीं रह गया है. बीजेपी छोड़ने पर न सिर्फ कार्यालय से पार्टी का बोर्ड बल्कि उस पर लगे झंडे और सीएम उम्मीदवार बी एस येदियुरप्पा आदी के फोटो भी हटा दिए गए. अब इस इमारत पर कांग्रेस का झंडा लगा दिया गया है. इस बीच सतीश ने एक रिहायशी इलाके में अपना ऑफिस बनाया है.
एस एम कृष्णा के भतीजे भी कांग्रेस में हुए शामिल
एस एम कृष्णा के भतीजे गुरुचरण भी बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल होने वालों में से एक हैं. उन्होंने बताया कि 'मेरे समर्थकों और मैंने निष्पक्ष रहने का फैसला किया था. लेकिन एस एम कृष्णा को जहां पीएम मोदी का साथ मिला वहीं गृहनगर में खुद को अकेला पाकर हम कांग्रेस में शामिल हो गए.' गुरुचरण ने आगे कहा कि 'एक साल पहले चाचा एस एम कृष्णा के साथ पार्टी छोड़ने पर हमसे किसी ने भी संपर्क नहीं किया. हम आखिर तक इंतजार करते रहे लेकिन कांग्रेस ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. कुछ दिनों पहले खुद सीएम सिद्धारमैया ने फोन कर कांग्रेस में वापस शामिल होने का अनुरोध किया, जिसे हमने मान लिया. हमें लगता है कि इस तरीके से हम बेहतर तरीके से विपक्षी पार्टी जेडी(एस) का सामना कर पाएंगे और लोगों के लिए भी कुछ अच्छा कर सकेंगे.'
भले ही एस एम कृष्णा के समर्थक व उनके रिश्तेदारों ने फिर से कांग्रेस का हाथ थाम लिया हो, लेकिन वे खुद भाजपा के साथ बने रहेंगे. सूत्रों की मानें तो रैली के दौरान पीएम मोदी के साथ कर्नाटक पूर्व सीएम का मंच पर दिखाई देना इसका साफ इशारा था.
कर्नाटक चुनाव से पहले बीजेपी ने पार्टी को मजबूती देने के लिए एस एम कृष्णा को अपने साथ शामिल किया था. साल 1999 से 2004 तक राज्य के सीएम रहने वाले कृष्णा के जरिए पार्टी अपनी छवि मजबूत करना चाहती थी. लेकिन कुछ रैलियों के अलावा वे बीजेपी के किसी भी अन्य चुनावी प्रचार में कम ही नजर आए हैं.
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