वॉशिंगटन: अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार (1 मई) को कहा कि ईरान के परमाणु हथियारों के संबंध में इजरायल की ओर से जारी नई खुफिया जानकारी सही है और इसमें मिली ज्यादातर सूचनाएं अमेरिकी विशेषज्ञों के लिए नई हैं. पोम्पिओ ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बीते 30 अप्रैल को इजरायल सैन्य मुख्यालय में भेंट की. इस दौरान विदेश मंत्री के साथ यह सूचनाएं साझा की गयीं. इजरायल से रवाना होने के बाद पोम्पिओ ने विमान में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें इन सूचनाओं के बारे में कुछ समय पहले से जानकारी थी और कल (30 अप्रैल) हमने साथ मिलकर इस पर चर्चा की.’’
उन्होंने कहा, इसपर पिछले कुछ समय से काम चल रहा है. मुझे मालूम है कि लोग इन दस्तावेजों के असली होने पर संदेह जता रहे हैं. मैं आपसे इसकी पुष्टि करता हूं कि यह सभी दस्तावेज असली हैं. यह पूछने पर कि क्या अमेरिका को ईरान के परमाणु कार्यक्रमों की जानकारी पहले से थी, उन्होंने कहा कि यह बात आंशिक रूप से सच है. हालांकि परमाणु कार्यक्रम दिसंबर, 2003 या जनवरी 2004 में खत्म हो गया. उल्लेखनीय है कि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर परमाणु समझौते को तोड़ने का आरोप लगाया है. यह ऐतिहासिक करार 2015 में हुआ था. इस समझौते पर रूस, चीन, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस ने हस्ताक्षर किए थे.
ईरान के पास एक संगठित, गोपनीय परमाणु हथियार प्रोग्राम; व्हाइट हाउस ने कहा
वहीं दूसरी ओर व्हाइट हाउस का आरोप है कि ईरान के पास एक संगठित और गोपनीय परमाणु हथियार कार्यक्रम है जिसे उसने दुनिया और अपने लोगों से छुपाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन असफल रहा. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स का कहना है कि मिसाइल के जरिए इस्तेमाल किये जा सकने वाले परमाणु हथियार विकसित करने के ईरान के प्रयासों के संबंध में इजरायल ने हाल ही में सूचना दी है. सैंडर्स का कहना है कि इस संबंध में विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच बातचीत भी हुई है.
नेतन्याहू का कहना है कि उनके पास इसका पुख्ता सबूत है कि ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रमों के बारे में झूठ बोला है. सैंडर्स ने कह कि यह तथ्य अमेरिका के पास लंबे समय से उपलब्ध सूचनाओं के मेल खाते हैं. ईरान के पास एक संगठित और गोपनीय परमाणु हथियार कार्यक्रम है, लेकिन वह उसे दुनिया और अपने लोगों से छुपाने में नाकाम रहा है.
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