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फिलहाल वे एक दिन छोड़कर कर्नाटक का दौरा कर रहे हैं। लेकिन मतदान के पास आने पर वे रोज कर्नाटक जाएंगे। चूंकि प्रधानमंत्री की हर रैली में दो लाख से तीन लाख लोग आ रहे हैं, पार्टी को विश्वास है कि इन रैलियों से उन्हें सुनिश्चित बढ़त प्राप्त होगी।
प्रधानमंत्री केवल रैलियां ही संबोधित नहीं कर रहे हैं। जिस दिन वे कर्नाटक नहीं जा पा रहे हैं उस दिन वे नमो ऐप के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करते हैं। कभी युवाओं से, कभी महिलाओं से तो कभी व्यापारियों से। इससे न सिर्फ कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हो रहा है बल्कि प्रधानमंत्री स्वयं जमीनी हकीकत से रोज रूबरू हो रहे हैं।
यह पहली बार नहीं है कि बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी का चुनाव में इतना ज्यादा इस्तेमाल कर रही है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के अंतिम दौर में उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी के गली-मोहल्लों की पदयात्रा कर धूम मचा दी थी। विपक्ष जिसे मोदी की घबराहट का प्रतीक बता रहा था, उसी रणनीतिक कदम की वजह से बीजेपी को सहयोगियों के साथ उत्तर प्रदेश की 403 में से 325 सीटें मिली थी।
इसी तरह उन्होंने त्रिपुरा, असम, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड आदि राज्यों के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। लेकिन दक्षिण भारत का द्वार होने के नाते कर्नाटक का महत्व अलग है। यहां मिली बड़ी जीत अगले साल के लोकसभा चुनाव पर भी असर डालेगी। इसीलिए, यूपी के बाद मोदी सबसे ज्यादा प्रचार कर्नाटक में ही कर रहे हैं।
ओबीसी बनाम ओबीसी
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  Hello, my name is Jack Sparrow. I'm a 50 year old self-employed Pirate from the Caribbean.
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