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ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Fri, 04 May 2018 11:47 PM IST
वर्ष 2012 से 2017 के बीच उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) की भर्तियों की सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। हालांकि कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया है।
जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ यूपीपीएसी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है।
पीठ ने नौ और 18 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के दिए गए आदेशों को भी फिलहाल बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं। इसका मतलब है कि सीबीआई यूपीपीएससी के मौजूदा चेयरमैन और सदस्यों को तलब कर पूछताछ नहीं कर सकेगी। साथ ही इनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई करने से इनकार कर दिया।
आयोग को सीबीआई द्वारा पूछे जाने वाले सवालों के जवाब मुहैया कराने होंगे। साथ ही आयोग को वे दस्तावेज भी मुहैया कराने होंगे, जिनकी जांच एजेंसी को दरकार होगी। मामले की अगली सुनवाई जुलाई के पहले हफ्ते में होगी। हालांकि सीबीआई आयोग के पूर्व चेयरमैन और पूर्व सदस्यों से पूछताछ कर सकेगी।
वर्ष 2012 से 2017 के बीच उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) की भर्तियों की सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। हालांकि कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया है।
जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ यूपीपीएसी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है।
पीठ ने नौ और 18 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के दिए गए आदेशों को भी फिलहाल बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं। इसका मतलब है कि सीबीआई यूपीपीएससी के मौजूदा चेयरमैन और सदस्यों को तलब कर पूछताछ नहीं कर सकेगी। साथ ही इनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई करने से इनकार कर दिया।
आयोग को सीबीआई द्वारा पूछे जाने वाले सवालों के जवाब मुहैया कराने होंगे। साथ ही आयोग को वे दस्तावेज भी मुहैया कराने होंगे, जिनकी जांच एजेंसी को दरकार होगी। मामले की अगली सुनवाई जुलाई के पहले हफ्ते में होगी। हालांकि सीबीआई आयोग के पूर्व चेयरमैन और पूर्व सदस्यों से पूछताछ कर सकेगी।
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