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सोलन के कसौली में अवैध निर्माण हटाने पहुंची टीसीपी महिला अधिकारी की हत्या के बाद प्रदेश सरकार और प्रशासन की कार्यशैली कटघरे में है। सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगाई है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान तो लिया ही है साथ ही कहा है कि महिला अधिकारी की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि महिला की मौत का मतलब है कि प्रदेश में कानून का पालन ठीक से नहीं हो रहा है और लोगों में कानून को लेकर कोई डर नहीं है।
कोर्ट ने सरकार को जमकर लताड़ा है। शीर्ष अदालत ने पूछा है कि घटनास्थल पर कार्रवाई के दौरान अधिकारियों को पूरी सुरक्षा क्यों नहीं मुहैया कराई गई। यही नहीं शीर्ष अदालत ने प्रदेश सरकार को यह आदेश दिया है कि जांच के दौरान इस बात की भी पुष्टि की जाए कि पूरे राज्य में कहीं भी अवैध निर्माण नहीं हो। शीर्ष अदालत में जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की बेंच ने प्रदेश सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह इस बात की भी पुष्टि करें की कसौली में अवैध निर्माण वाले 13 होटलों पर वह क्या कार्रवाई कर रही है।
जस्टिस लोकुर की पीठ ने आज यह भी कहा कि महिला अधिकारी की मौत कोर्ट के ऑर्डर की वजह से नहीं बल्कि कानून का ठीक से पालन नहीं होने की वजह से हुई है। उन्होंने कहा कि महिला की मौत बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने राज्य के रिप्रजेंट कर रहे वकील को यह भी कहा कि राज्य सरकार इस बात की भी ताकीद करे कि राज्य में अवैध निर्माण को लेकर क्या कार्रवाई की जा रही है उसकी भी पूरी सूचना दें। इस मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
मंगलवार को कसौली में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक अवैध निर्माण हटाने का काम चल रहा है। इस दौरान एक अवैध गेस्ट हाउस को तोड़ने के लिए टीसीपी अधिकारी शैल बाला के साथ एक टीम पहुंची हुई थी। इस दौरान गेस्ट-हाउस मालिक विजय ठाकुर से उनकी बहस हुई। विजय ने अधिकारियों के काम में बाधा डालने की कोशिश की। इसके बाद उसने अवैध निर्माण हटाने की गई टीम पर अंधाधुध फायरिंग कर दी। इस वारदात में टीसीपी अधिकारी शैल बाला की मौत हो गई, जबकि एक पीडब्ल्यूडी अधिकारी घायल हो गया। दरअसल, पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिनों के भीतर अवैध निर्माण को हटाने का नोटिस भेजा था।
महिला अधिकारी कहती रही वह कानून का पालन कर रही है
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