ख़बर सुनें
दलितों पर राजनीति कोई नई बात नहीं है। लंबे समय से दलित कार्ड राजनीति का प्रमुख एजेंडा रहा है और बात जब चुनाव में मतदाताओं को लुभाने की हो तो यह कार्ड आन-बान की बात हो जाती है। दलित विरोधी छवि से जूझ रही भारतीय जनता पार्टी दलितों को प्रभावित करने का हर दांव उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है।
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की छवि जहां और दलित विरोधी बन रही है वहीं मोदी सरकार के मंत्री अपने सरकार की छवि सुधारने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं।
लेकिन कोई भी दलित कार्ड काम नहीं आ रहा है। चाहें दलितों के घर जाकर खाना खाने का हो या फिर उनके घर सोने का या बात करें उनके साथ उनकी परेशानियों को जानने का,भाजपा मंत्रियों का सारा दांव उल्टा ही पड़ता जा रहा है।
भाजपा के मंत्री, विधायक और सांसद अपने बयानों और गतिविधियों से सरकार की फजीहत करा रहे हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी जहां दलितों तक अपनी पहुंच बनाने पर काम कर रही है, वहीं उनके नेता गलतियां कर न सिर्फ विवादों में घिर रहे हैं, बल्कि जाति के पुर्वाग्रह को भी मजबूत करते दिख रहे हैं।
मामला उत्तर प्रदेश का है जहां योगी सरकार के मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह ने खुद को और बीजेपी नेताओं की तुलना भगवान राम से कर दी है, जो दलितों के घर जाते हैं और उनके साथ बैठकर खाना खाते हैं।
वहीं, योगी सरकार में एक और मंत्री सुरेश राणा ने अलीगढ़ में दलित के घर बाहर से लाए गये शाही भोजन और मिनरल वाटर के साथ खाना खाकर इसे एक और नई परिभाषा दे दी है। योगी सरकार की मंत्री अनुपमा जायसवाल ने भी दलितों के यहां खाने को लेकर एक हास्यास्पद बयान दे डाला है उन्होंने कहा- मच्छर काटने के बावजूद मंत्री दलितों के घर रुक रहे हैं।
दलितों के घर में खाना खाने का दिखावा करने से बचने की सलाह दी है
[ad_2]
Source link
No comments:
Post a Comment